लिंग के आकार का
यौन आनंद या इसकी कार्यक्षमता से कोई संबंध नहीं है। कार्यक्षमता का अर्थ है लिंग
की सख्ती बनाए रखना या अपने साथी व स्वंय को सख्त लिंग द्वारा या इसके बिना ही यौन
सुख प्रदान करना। इसलिए कार्यक्षमता लिंग के आकार पर नहीं अपितु मांसपेशियों और
प्रजनन अंगों को मिलने वाली रक्त और तंत्रिका आपूर्ति पर निर्भर करती है।
योनि की औसत
मैथुनिक गहराई लगभग 15 सेमी है जिसमें से केवल बाहरी एक तिहाई (5 सेमी) में ही
अधिकतम तंत्रिका सूत्र स्थित हैं। भीतर का दो तिहाई (10 सेमी) हिस्सा वस्तुतः
असंवेदनशील है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर एक पुरुष अपनी महिला साथी को
उत्तेजित करना चाहता है तो उसे योनि के अधिकतम तंत्रिका सूत्रों वाले क्षेत्र यानि
भगोष्ठ (लेबिया मेजर) और बाहरी तिहाई यानि बाहरी 5 सेमी के हिस्से पर ही ध्यान
देना चाहिए। अतः महिला की यौन संतुष्टि के लिए उत्तेजित लिंग का आकार 5 सेमी से अधिक कुछ भी हो सकता है। महिला की
संतुष्टि के लिए लिंग के आकार के कोई मायने नहीं होते लिंग का आकार केवल उन
महिलाओं के लिए ही महत्वपूर्ण होता है जो इस मिथक पर विश्वास करती हैं कि “सिर्फ बड़े लिंग वाले पुरुष ही अपनी महिलाओं को
संतुष्ट कर सकते हैं।”........................................
जबकि सच यह है कि
यौन आनंद का संबंध व्यक्ति की अपने साथी और स्वंय की आवश्यकताओं का सम्मान करने की
सोच से होता है।
No comments:
Post a Comment